Kriya Ke Kitne Bhed Hote Hai?|(क्रिया के कितने भेद होते है?)

Kriya Ke Kitne Bhed Hote Hai?|(क्रिया के कितने भेद होते है?)

Kriya Ke Kitne Bhed Hote Hai
Kriya Ke Kitne Bhed Hote Hai?

नमस्कार, आज हम क्रिया(kriya) और क्रिया के भेद(Kriya Ke Kitne Bhed Hote Hai?) के बारेमे पूरी जानकारी देंगे।

यहां दी गई क्रिया के भेद के विषय में जानकारी सभी प्रकार की परीक्षा में उपयोगी है।
सबसे पहले हम क्रिया की परिभाषा को सीखेंगे।
क्रिया की परिभाषा(kriya ki paribhasha)
 

किसी कार्य के करने या होने के का बोध कराने वाले शब्द को क्रिया कहते है। अर्थात जो मूल धातु के साथ “ना” प्रत्यय का प्रोयोग करने से या लगाने से क्रिया का निर्माण होता है।

जैसे की:– पढ़+ना = पढना , लिख+ना= लिखना
यहां आप देख सकते है की पढ़ और लिख यह दोनो धातु है और इसमें “ना” प्रत्यय लगाया है तो इसको क्रिया कहते है।
अब हम kriya ke kitne bhed hote hai यह जानेंगे।

Kriya ke kitne bhed hote hai(क्रिया के कितने भेद होते है)

क्रिया के मुख्य तीन भेद है जिसको यहां दिया है।
  1. कर्म के आधार पर क्रिया
  2. प्रयोग/रचना के आधार पर क्रिया
  3. काल के आधार पर क्रिया
यहां इस तीन प्रकार के अंदर भी दूसरे प्रकार है जिसको हम यहां देखेंगे।
कर्म के आधार पर क्रिया के भेद
  1. अकर्मक क्रिया
  2. सकर्मक क्रिया
सकर्मक क्रिया के भेद
  1. एक कर्मक क्रिया
  2. द्विकर्मक क्रिया
प्रयोग/रचना के आधार पर क्रिया के भेद
  1. सामान्य क्रिया
  2. संयुक्त क्रिया
  3. पूर्व कालीन क्रिया
  4. प्रेणनार्थक क्रिया
  5. नामधातु क्रिया
  6. कृदंत क्रिया
  7. सजातीय क्रिया
  8. सहायक क्रिया
काल के आधार पर क्रिया के भेद
  • भूतकालिक क्रिया
  • वर्तमान कालिक क्रिया
  • भविष्य कालिक क्रिया
Note: यहां नदी सूचक या मुनि सूचक शब्द के साथ कोई संक्यावाची हो तो उसको अवयव भाव समास कहलाता है।
अब हम यहां बताई गई सभी प्रकार के kriya ke bhed की परिभाषा और kriya in hindi मे जानेंगे।

1.कर्म के आधार पर क्रिया

जैसा आपको ऊपर दिया है वैसे कर्म के आधार पर क्रिया दो तरह की होती है।

अकर्मक क्रिया(akarmak kriya)

जब किसी प्रकार के वाक्य में प्रयुक्त क्रिया बिना किसी कर्म के प्रस्तुत हो कर भी पूरे अर्थ का बोध कराए उसको अकर्मक क्रिया कहते है।

अकर्मक वाक्य की पहचान:
दोस्तो आपको कोई भी वाक्य दिया गया है और उसमे क्रिया की पहचान के लिए आप यहां बताई गई बात को ध्यान में रखते है तो आप बड़ी आसानी से पहचान कर सकते है।
  • अगर प्रयुक्त क्रिया से”क्या” के द्वारा प्रश्न किया जाए और उत्तर ना मिले तो उनको अकर्मक क्रिया कहते है।
प्रयुक्त क्रिया से “क्या” और “कोन” के द्वारा प्रश्न किया जाए और आपको अगर इसका उत्तर समान मिलता है तो वह अकर्मक क्रिया होगी
उदाहरण:–
(1) चिड़िया आकाश में उड़ती है।
अब हम यहां “क्या” और “कोन” के द्वारा प्रश्न करते है।
कोन आकाश में उड़ता है?=> चिड़िया
क्या आकाश में उड़ता है?=> चिड़िया
यहां दोनो प्रश्न का उत्तर समान है इसको अकर्मक क्रिया कहते है।
(2) मोहन सोता है।
कोन सोता है=> मोहन
क्या सोता है=> कोई उत्तर नही मिला (अकर्मक क्रिया)
(3) वह पैदल चलता है।
क्या पैदल चलता है=> उत्तर नही मिला इसीलिए अकर्मक क्रिया
(4) हवाई जहाज आकाश में उड़ता है

सकर्मक क्रिया

सकर्मक क्रिया
 
सकर्मक क्रिया की परिभाषा:–

जब किसी वाक्य में प्रस्तुत क्रिया कर्म के सहित हो अर्थात कर्ता और क्रिया कर्म के साथ प्रस्तुत होकर पूरे अर्थ का बोध कराए उसे सकर्मक क्रिया कहते है।

सकर्मक क्रिया की पहचान
  • प्रयुक्त क्रिया से “क्या” और “कोन” के द्वारा प्रश्न किया जाए और आपको अगर इसका उत्तर अलग–अलग मिलता है तो वह अकर्मक क्रिया होगी। 
यह याद रहे: अगर किसी वाक्य में “क्या” के द्वारा प्रश्न किया जाए तो उत्तर में कर्म आता है और अगर “कोन” के द्वारा प्रश्न किया जाए तो उत्तर में कर्ता आता है।
उदाहरण:–
(1) निहारिका पुस्तक पढ़ती है।
कोन पुस्तक पढ़ती है?=> निहारिका
क्या पढ़ती है? => पुस्तक
यहां दोनो प्रश्न के उत्तर मिले और दोनो अलग–अलग है इसीलिए इसको सकर्मक क्रिया कहते है।
(2) विजय खाना पकाता है।
कोन खाना पकाता है=> विजय
क्या पकाता है=> खाना
यह भी साकर्मक क्रिया हुई है।
(3) बच्चे फुटबॉल खेलते है।
(4) विकाश गाय चराता है।
सकर्मक क्रिया के भी दो भेद होते है एक कर्मक क्रिया और दूसरा
द्विकर्मक क्रिया अब हम इन दोनो के बारेमे जानेंगे।
(a)एक कर्मक क्रिया
परिभाषा:

 जब किसी भी वाक्य में क्रिया के साथ एक ही कर्म यानी एक कर्म प्रयुक्त होता हो उसको हम एक कर्मक क्रिया कहते है।

उदाहरण:–
(1) किंजल पुस्तक पढ़ती है।
जैसा ऊपर बताया था की “क्या” से प्रश्न पूछने पर कर्म मिलता है।
क्या पढ़ती है=> पुस्तक
यह पुस्तक एक ही कर्म है इसीलिए इसको एककर्मक क्रिया कहा जाता है।
(2) मुकेश फुटबॉल खेलता है।
क्या खेलता है=> फुटबॉल
यहां फुटबॉल एक ही उत्तर आया इसीलिए एक ही कर्म है और इसको एककर्मक क्रिया कहा जाता है।
(3) किसान हल से खेत जोतता है।
(4) विद्यार्थी पेंसिल से चित्र बना रहे है।
(5) हिना खाना पका रही है।
(b) द्विकर्मक/बहुकर्मक क्रिया
परिभाषा:–

जिस किसी भी वाक्य में कर्ता के साथ दो या दो से अधिक कर्म प्रयुक्त होते है तो उसको द्विकर्मक या बहुकर्मक क्रिया कहते है।

द्विकर्मक की पहचान
  • द्विकर्मक के लिए वाक्य में प्रयुक्त क्रिया से “क्या” और ” किसको” से प्रश्न करना होता है।
उदाहरण:–
(1) पिता पुत्र को ज्ञान देता है।
किसको ज्ञान देता है=> पुत्र को
क्या देता है=> ज्ञान
यहां यह द्विकर्मक क्रिया हुई।
(2) मोहन सोहन को पत्र लिखता है।
किसको पत्र लिखता है=> मोहन
क्या लिखता है=> पत्र
यह दो कर्म दिख रहे है इसीलिए इसको भी द्विकर्मक क्रिया कहते है।
(3) माता पुत्री को शिक्षा देती है।
(4) विजय अजय को पढ़ना सिखाता है।
Noteआपको यह बात ध्यान रखनी होगी की किसी वाक्य में देने का बोध हो रहा हो और दान दिया जा रहा हो और वहां “क्या” या “किसको” दोनो का उत्तर मिलने पर भी एककर्मक क्रिया होगी। 
उदाहरण:–
(1) राजा ने ब्राह्मण को गाय दी।
यहां आप अगर “क्या” और “किसको” से प्रश्न पूछते है तो उत्तर मिलेगा लेकिन….
यहां राजा ब्राह्मण को गाय दे रहा है इसलिए वह दान हुआ।इसको एककर्मक क्रिया कही जाती है।
(2) मोहन ने भिखारी को खाना दिया।
यहां वाक्य में मोहन भिखारी को दान दे रहा है इसीलिए यह द्विकर्मी ना होकर एककर्मक होगी।
(3) राजेश ने गरीब को कपड़े दिए।
यह वाक्य में राजेश गरीब को दान दे रहा है इसीलिए यह एककर्मक क्रिया होगी।
याद रहे यह आपकी परीक्षा में हो सकता है….!
अभी तक हमने kriya ke kitne bhed hote hai मे से कर्म के आधार पर क्रिया के भेद को समझा अब हम प्रयोग/रचना के आधार पर क्रिया के भेद को समझ ते है।

2.प्रयोग/रचना के आधार पर क्रिया के भेद(Kriya Ke Kitne Bhed Hote Hai?)

जैसा हमने देखा कि प्रयोग/रचना के आधार पर क्रिया के कुल आठ भेद है उन सभी को हम विस्तार से देखेंगे।
  1. सामान्य क्रिया
  2. संयुक्त क्रिया
  3. पूर्व कालीन क्रिया
  4. प्रेणनार्थक क्रिया
  5. नामधातु क्रिया
  6. कृदंत क्रिया
  7. सजातीय क्रिया
  8. सहायक क्रिया
अब हम इसमें एक के बाद एक भेद को अच्छे से समझेंगे।

(a) सामान्य क्रिया

परिभाषा:

 जब किसी भी वाक्य में प्रयुक्त क्रिया सामान्य स्थिति का बोध कराए तो उसको सामान्य क्रिया कहते है।

यहां परिभाषा देख के हम अंदाज लगा सकते है की सामान्य क्रिया जैसी की :– सोना, खाना, पीना, उठना आदि…
उदाहरण:–
(1) मोहन पुस्तक पढ़ता है।
यहां पढ़ना एक सामान्य क्रिया होती है इसीलिए इसको सामान्य क्रिया कहा जाता है।
(2) मुकेश क्रिकेट खेलता है।
यह खेलना भी एक सामान्य क्रिया है।
(3) विजय खाना खा रहा है।
(4) चिड़िया आसमान में उड़ रही है।

(b) संयुक्त क्रिया

परिभाषा:–

 जब किसी वाक्य में दो भिन्नार्थक(मतलब अलग–अलग) प्रयुक्त हो तो  उसे संयुक्त क्रिया कहते है।

उदाहरण:–
(1) राकेश ने पुस्तक पढ़ली है।
यहां हम देखे तो पढ़+ ली=> पढ़ाई(read) और लि (लिया हो)
यहां दो अलग अलग मतलब वाले दो शब्द को जोड़ा है इसीलिए इसको संयुक्त क्रिया कहलाता है।
(2) कृष्ण ने राधा को देखलिया है।
यहां देखलीया=> देखना और लिया(लेना)
यहां भी दो भिन्नार्थक सब्द से मुख्य सब्द बना है।
(3)अजय खाना खा चुका है।
(4)वह पत्र लिखने के बाद गया है।

(c) पूर्व कालीन क्रिया

परिभाषा:–

 जब किसी कार्य में दो भिन्नार्थक क्रिया प्रस्तुत हो और उसमे से जो क्रिया सबसे पहले प्रस्तुत होती है उसको पूर्व कालीन क्रिया कहते है।

पहचान:–
  • पूर्व कालीन क्रिया की पहचान के लिए वाक्य में प्रयुक्त क्रिया के साथ “कर/करके” जुड़ा रहता है।
उदाहरण:–
(1) राजू दूध पीकर सो गया।
यहां दो घटना हुई है, पहली: राजू ने दूध पिया और दूसरी: राजू सो गया।
यहां पहली घटना को पूर्व कालीन क्रिया कहा जाता है।
(2) मोदी खाना खाकर चले गई।
यहां पहली क्रिया खाना खाने की है तो इसको पूर्व कालीन कहा जायेगा।
(3) मंजू ने नींद से जागकर पानी पिया।
(4) बच्चा क्रिकेट खेलने के बाद सो गया।

(d)प्रेणनार्थक क्रिया

परिभाषा:–

जब किसी वाक्य में कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी अन्य(और) को कार्य करने की सलाह या प्रेरित करता हो उसको प्रेणनार्थक क्रिया कहा जाता है।

उदाहरण:–
(1) सीमा, माघवी से खाना बनवा रही है।
(2) श्रीकृष्ण अर्जुन को युद्ध करने का कह रहे है।
(3) राजा, मंत्री से पत्र लिखवा रहे है।

(e)नामधातु क्रिया

परिभाषा:–

जब किसी वाक्य में प्रयुक्त क्रिया संज्ञा/सर्वनाम/विशेषण से बनी हो यानी की संज्ञा/सर्वनाम/विशेषण से बनने वाली क्रिया को नाम धातु क्रिया कहलाती है।

उदाहरण:–
शर्म=>शर्माना
लाज=>लजाना
गर्म=>गर्माना
अपना=>अपनाना
हाथ=>हथियाना

(f)कृदंत क्रिया

परिभाषा:–

जब आप किसी वाक्य को देखते है और उसमे मूल धातु के साथ प्रत्यय का प्रयोग किया गया हो तो उसे बनने वाली क्रिया कृदंत क्रिया कहलाई जाति है।

 
उदाहरण:– 
 
पढ़=> (1) पढ़ना (2) पढ़ता (3) पढ़कर
चल=> (1) चलना (2) चलता (3) चलकर
 

(g)सजातीय क्रिया

परिभाषा:– 

जब किसी भी वाक्य में एक ही मूल धातु का उपयोग करके दो क्रिया का निर्माण हो रहा हो उसको सजातीय क्रिया कहते है।

 
उदाहरण:– 
 
 पढ़=> (1) पढ़ाई ,(2) पढ़ी
लड़=> (1) लड़ाई,(2) लड़
चढ़=> (1) चढ़ाई, (2) चढ़ी 
 

(h)सहायक क्रिया

परिभाषा:–

जिस भी वाक्य में मुख(main) क्रिया की सहायता के लिए अन्य दूसरी क्रिया प्रस्तुत हो तो उसको सहायक क्रिया कहते है।

यहां ध्यान रहे मुख्य क्रिया को जो सहायक क्रिया है उसको ही केवल सहायक क्रिया कहते है।
उदाहरण:–
(1) रोगी ने दवाई पी है।  => यहां सहायक “है” का उपयोग किया
(2) मामा ने कहानी सुनाई थी। =>यहां सहायक ” थी” का उपयोग किया
(3) योगेंद्र ने किताब पढ़ ली। => यहां सहायक “ली” का उपयोग किया
यहां हमने kriya ke kitne bhed hote hain मे से हमने प्रयोग/रचना के आधार पर क्रिया के भेद को सिखा है।
चलिए अब हम काल के आधार पर क्रिया के भेद को भी विस्तार से समझ लेते है।

3.काल के आधार पर क्रिया के भेद

सभी kriya ke kitne bhed hote hain मे से काल के आधार पर क्रिया सबसे सरल और आसान है।
हम ऊपर शरुआत में देख चुके है की काल के आधार पर क्रिया के तीन भेद है यहां हम उसको विस्तार से समझेंगे।
  1. भूतकालिक क्रिया
  2. वर्तमान कालिक क्रिया
  3. भविष्य कालिक क्रिया
अब हम इन तीनो प्रकार को पूर्ण विस्तार से समझते है।

(a) भूतकालीक क्रिया

परिभाषा: –

क्रिया के जिस रूप के द्वारा बीते हुआ समय अर्थात भूतकाल में किसी कर्म या काम को होने का बोध हो क्रिया के ऐसे प्रकार को भूतकालिक क्रिया कहते है।

यह आपको दिया हुआ वाक्य पढ़के समझ में आ जायेगा की यह घटना बीते हुआ समय में हुई थी।
उदाहरण:–
(1) मोहन ने पुस्तक पढ़ी।
(2) राम चला गया।
(3) वह सो गई होगी।
(4) श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाई है।
(5)अजूबा विद्यालय गया था।

(b) वर्तमानकालिक क्रिया

परिभाषा:–

क्रिया के जिस रूप के द्वारा जारी समय(यानी अभी जो समय चल रहा है वो) में किसी भी कार्य के होने का बोध होता है तो वह वर्तमानकालिक क्रिया कहलाती है।

उदाहरण:–
(1) राधा चल रही है।
(2) राजेश फिल्म देख रहा है।
(3) बस यहां पे खड़ी है।

(c) भविष्य कालिक क्रिया

परिभाषा:–

क्रिया के जिस रूप के द्वारा आनेवाले समय(future) अर्थात भविष्य में किसी कार्य के होने का बोध या भान कराए उसको भविष्य कालिक क्रिया कहते है।

उदाहरण:–
(1) बच्चे मामा के पास मिलने जायेगे।
(2) कुछ दिन बाद हमारी परीक्षा का परिणाम आएगा।
(3)कल बिजली नहीं आयेगी।
दोस्तो, आसा करता हु आपने kriya ke kitne bhed hote hain के विषय में संपूर्ण ज्ञान ले लिया होगा।
अगर आपको क्रिया या व्याकरण के विषय में कोई समस्या हो तो नीचे comment करिए।